![Ruckus over Rajdeep Sardesai's "Tiranga-Viranga" statement](https://bollywoodnewshindi.com/wp-content/uploads/2024/12/ruckus-over-rajdeep-sardesai-tiranga-viranga-statement-1024x576.webp)
भारत का राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ देश के सम्मान और गौरव का प्रतीक है। यही तिरंगा जब किसी विवाद का केंद्र बनता है, तो यह स्वाभाविक है कि देशवासियों की भावनाएँ आहत होती हैं। हाल ही में, इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार Rajdeep Sardesai का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने न केवल लोगों को हैरान किया, बल्कि गहरी नाराजगी भी पैदा की।
इस विवाद की शुरुआत ‘द लल्लनटॉप’ के सौरभ द्विवेदी के साथ राजदीप सरदेसाई की बातचीत से हुई। इस चर्चा में सौरभ ने बताया कि वे क्रिकेट मैच देखने के दौरान अपनी कलाई पर तिरंगे का प्रतीक बनवाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कैमरे पर दिखाया कि उनकी डेस्क पर हमेशा एक विशेष तिरंगा रहता है, जिसे भारतीय सेना के बलिदानियों की विधवाओं ने बनाया है।
सौरभ द्विवेदी की इस भावना पर प्रतिक्रिया देते हुए राजदीप सरदेसाई ने कहा, “मैं कोई तिरंगा-विरंगा नहीं रखता। तिरंगा मेरे दिल में है।” उनके इस बयान से सौरभ चौंके और तुरंत प्रतिक्रिया दी, “तिरंगा-विरंगा मत कहो। यह आपकी भाषा के लिए सही नहीं है।”
हालाँकि, राजदीप ने बात को संभालने की कोशिश करते हुए कहा कि वे तिरंगे को दिल में रखते हैं और इसे शारीरिक रूप से प्रदर्शित करने की जरूरत नहीं समझते। लेकिन इस सफाई के बावजूद, सोशल मीडिया पर लोग उनकी इस टिप्पणी से आहत हो गए।
राजदीप सरदेसाई की इस क्लिप के वायरल होते ही ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स ने नाराजगी जाहिर की। कई लोगों ने इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करार दिया।
एक यूजर ने लिखा, “ख़ुद को वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं Rajdeep Sardesai क्या ऐसे कथित पत्रकार को तिरंगा वीरांग बोलना शोभा देता है ?”
वहीं, एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, “How the hell can this b@st@rd say “Tiranga Viranga””
वायरल वीडियो और बढ़ते विवाद के बाद अब राजदीप सरदेसाई ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया और उनका उद्देश्य राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना नहीं था। उन्होंने तिरंगे के प्रति अपने सम्मान को दोहराते हुए कहा, “मैं तिरंगे को दिल से सम्मान देता हूँ।”
यह पहली बार नहीं है जब राजदीप सरदेसाई किसी बयान को लेकर विवादों में घिरे हों। लेकिन इस बार मामला राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ा होने के कारण और अधिक गंभीर हो गया।
- क्या एक वरिष्ठ पत्रकार को ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए?
- क्या उनकी बातों से राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान को ठेस पहुँची?
- क्या इस मामले पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए?
इन सवालों के जवाब सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गए हैं।
तिरंगा न केवल भारत की आजादी का प्रतीक है, बल्कि यह देशवासियों के गर्व और एकता का भी प्रतीक है। जब इस तरह के बयानों से इसके सम्मान पर सवाल उठते हैं, तो देशवासियों की नाराजगी स्वाभाविक है।
यह विवाद एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि सार्वजनिक मंच पर बोलते समय हर व्यक्ति, खासकर वरिष्ठ पत्रकारों को अपनी भाषा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। तिरंगा हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक है और इससे जुड़े किसी भी बयान में शब्दों का चयन सोच-समझकर किया जाना चाहिए।
इस पूरे मामले से यह साफ हो गया कि राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान न केवल एक कर्तव्य है, बल्कि यह हर भारतीय की भावनाओं का हिस्सा भी है।
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